आयकर विभाग की ओर से खेती की ज़मीन को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं, जो किसानों और ज़मीन मालिकों के लिए जरूरी हैं। अक्सर लोगों का मानना होता है कि खेती की ज़मीन बेचने से होने वाली आय पर उन्हें टैक्स नहीं देना होता। हालांकि, यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है। 2025 के आयकर नियमों के तहत, यदि कोई व्यक्ति खेती की ज़मीन बेचता है, तो उस पर टैक्स की स्थिति उस ज़मीन के इस्तेमाल और बिक्री के समय के आधार पर तय होती है। अगर ज़मीन कृषि उद्देश्यों के लिए खरीदी और बेची जाती है, तो उसे टैक्स से राहत मिल सकती है।
आयकर नियम 2025 कृषि भूमि के प्रकार
आयकर के नियमों के तहत कृषि भूमि को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है ग्रामीण और शहरी। सबसे पहले, ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि, जिसे एग्रीकल्चर लैंड भी कहा जाता है, आमतौर पर ऐसी भूमि होती है जो शहरों से बाहर स्थित होती है और यहां खेती होती है।
दूसरी तरफ, शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि ऐसी ज़मीन होती है जो शहरों के पास स्थित होती है, जहां भी खेती की जाती है। हालांकि, शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि को इनकम टैक्स के नजरिए में एग्रीकल्चर लैंड के रूप में नहीं माना जाता है। इसका मतलब यह है कि यदि शहरी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि की बिक्री की जाती है, तो उसे सामान्य भूमि माना जा सकता है, जिस पर टैक्स की कुछ शर्तें लागू हो सकती हैं।
आयकर नियम 2025 किन ज़मीनों को एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाता जानिए
आयकर नियमों के तहत, कुछ विशेष परिस्थितियों में ज़मीन को एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाता। अगर ज़मीन किसी म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड के तहत आती है, और उस क्षेत्र की आबादी 10 लाख से ज्यादा है, तो 8 किलोमीटर के दायरे में स्थित ज़मीन को एग्रीकल्चर लैंड के रूप में नहीं माना जाएगा।
इसके अलावा, अगर म्युनिसिपालिटी या कैंटोनमेंट बोर्ड की आबादी एक लाख या उससे ज्यादा है, तो उसके आसपास 6 किलोमीटर के दायरे में आने वाली ज़मीन भी एग्रीकल्चर लैंड की श्रेणी में नहीं आएगी। ऐसी ज़मीन पर टैक्स लागू हो सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों को कृषि भूमि के रूप में नहीं गिना जाता।